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60 साल पहेलेकी आजादी तब और अब...

पुरानी नजर से आज का देश...

आज से 65 साल पहले आजादी की लड़ाई में कई लोगों ने खुद को झोंक दिया था, लेकिन आजादी के वे सिपाही आज के माहौल को देखकर क्या सोचते हैं, इंडिपेंडेंस डे के मौके पर हमने दो फ्रीडम फाइटर्स से यही जानने की कोशिश की:

फौलादी बाज बने देश

कैप्टन एस. एस. यादव, आजाद हिंद फौज में ट्रंप कमांडर


ऑल इंडिया फ्रीडम फाइटर्स असोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी कैप्टन यादव ने नेता सुभाष चंद्र बोस की लीडरशिप में आजादी की लड़ाई लड़ी, तो उसके बाद इंडियन नैशनल आर्मी के सिपाहियों के सम्मान के लिए भी लड़े। वह कई स्कूलों में पढ़ा चुके हैं और रिटायरमेंट के बाद फ्रीडम फाइटर्स के वेलफेयर के लिए काम कर रहे हैं।

अलग है आज का युवा

कैप्टन यादव का मानना है कि तब और आज के यूथ के सपनों में बहुत फर्क है। तब हर जवान आंख आजाद व मजबूत देश का सपना देखती थी और युवा देश के लिए जीते थे, लेकिन आज के यंगस्टर्स पहले अपने बारे में सोचते हैं और फिर देश के बारे में। ऐसा नहीं है कि उसे देश से प्यार नहीं है, लेकिन तमाम कामों में वह प्यार दबकर रह गया है। ऐसे में यूथ चाहकर भी देश को अपनी प्रायॉरिटी में शामिल नहीं कर पाता।

चाहिए मॉरल एजुकेशन

बेशक आज का एजुकेशन सिस्टम अच्छा है, लेकिन दिक्कत यह है कि यह मॉरल एजुकेशन से दूर है और देश प्रेम भी नहीं सिखा रहा है। आजाद हिंद फौज में एंट्री के बाद 3 महीने तक सिर्फ मॉरल वैल्यूज की ट्रेनिंग दी जाती थी। इस दौरान देश और देशभक्ति क्या है, हम क्यों लड़ रहे हैं, आजादी क्या है के बारे में डिटेल में बताया जाता था। यह सिस्टम आज वापस शुरू होना चाहिए, ताकि लोगों में देशप्रेम जगने के साथ शहीदों के प्रति सम्मान भी आए।

रेग्युलर हो रूटीन

मेरी यंग एज में लाइफ में डिसिप्लिन बहुत ज्यादा था, जो आज के यंगस्टर्स की लाइफ में नहीं है। समय पर सोना, समय पर उठना, घर का खाना, फल और सही रूटीन बेहद जरूरी है, लेकिन समस्या यह है कि इससे आज का युवा कोसों दूर है। जब तक वे इस चीज को डिवेलप नहीं करेंगे, उनका फोकस नहीं बन पाएगा।

आतंकवाद से जंग

बेशक आतंकवाद एक बड़ी समस्या है और इसे देशप्रेम के जरिए ही मिटाया जा सकता है। नेता जी के विचार थे कि एकता, विश्वास और बलिदान से आतंकवाद से लड़ा जा सकता है। दरअसल, जब राष्ट्रवाद की भावना हर नागरिक के दिल में होगी, तो आतंकवाद अपने आप खत्म हो ही जाएगा।

मेरे सपनों का भारत

नेता जी भारत को सोने की चिड़िया नहीं, बल्कि फौलादी बाज बनाना चाहते थे। उनके सपनों की तरह मैं भी भारत को बहुत मजबूत देखना चाहता हूं, जिसे कोई दबा ना सके। मुझे लगता है कि सही राह पर चलकर आज का युवा नेता जी के इस सपने को जरूर पूरा कर सकता है।

यंगस्टर्स को चाहिए गाइडेंस

के. शारदा मनी देवी, फ्रीडम फाइटर

भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ीं स्वतंत्रता सेनानी के. शारदा मनी देवी महज 15 साल की उम्र में जेल भी गई थीं। गांधी जी की नजदीकी रहीं शारदा देवी ने इंडिपेंडेंस के बाद डीयू में डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन में पढ़ाया। 85 साल की शारदा देवी आज के माहौल में लड़कियों को मजबूत होने की एडवाइज देती हैं।

बदल गई हैं प्रायॉरिटीज

समय बदल गया है और उसी के साथ यूथ की सोच भी। आज का युवा देश के बारे में कम और अपने बारे में ज्यादा सोचता है। अपनी जवानी में हम बस देश के बारे में ही सोचते थे। मुझे याद है, मैं डॉक्टर बनना चाहती थी और इसकी पढ़ाई के लिए मैंने चेन्नै के एक कॉलेज में एडमिशन भी ले लिया था। तभी मेरी माता जी ने मुझे भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के लिए वापस बुला लिया।

उस दौरान मैं तकरीबन 9 महीने तक जेल में भी रही। रिहा होने पर कॉलेज प्रशासन ने मुझसे रिटन में मांगा कि आइंदा मैं किसी भी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग नहीं लूंगी। तब मेरी उम्र 15-16 साल रही होगी, लेकिन उस समय मैंने देश को सबसे ऊपर माना और आंदोलनों के साथ जुड़ी रही।

वहीं, आज का युवा सिर्फ पैसा कमाने में लगा है और नैतिक मूल्यों को भूल गया है। वह अपनी डायरेक्शन नहीं जानता और इस मामले में उसे गाइड करना जरूरी है।

नहीं हैं रोल मॉडल्स

उस जमाने में युवाओं को सही दिशा दिखाने के लिए रोड मॉडल हुआ करते थे। नेता अक्सर युवाओं को देशभक्ति के लिए प्रेरित करते, तो टीचर्स बच्चों को मॉरल वैल्यूज देते थे, लेकिन प्रजेंट में यंगस्टर्स के लिए कोई रोल मॉडल नहीं है। और स्कूलों में भी बच्चों को उतनी एजुकेशन दी जा रही है, जिससे वे पैसा कमा सकें। जबकि स्कूलों में देशप्रेम और नैतिक मूल्यों पर ज्यादा ध्यान होना चाहिए।

मजबूत बनें महिलाएं

प्रोग्रेस के बावजूद अब महिलाओं पर अपराध बढ़ रहे हैं जबकि, हमारा समय ज्यादा खुले विचारों वाला था और महिलाओं को पूरा मान-सम्मान व इज्जत मिलती थी। तब ऐसे अपराध नहीं थे और महिलाओं को घर से निकलते हुए डर नहीं लगता था हालांकि, आज की महिलाओं को माहौल देखते हुए आत्मरक्षा के सभी गुण सीखने चाहिए। एक महिला होने के कारण मैं तो यही कहूंगी कि जब हम अंग्रेजों से नहीं डरे तो आज इन अपराधों से भी नहीं घबराना चाहिए।

यंगस्टर्स ही लाएंगे क्रांति

गांधी जी के सपनों का युवा राष्ट्रीय सेवाभाव से जुड़ा हुआ था और वर्तमान में भी युवाओं में सेवाभाव होना चाहिए। युवा अपनी प्राथमिकताओं में राष्ट्रप्रेम व राष्ट्रभाव को शामिल करें और उसे सर्वोच्च दर्जा भी दें। गरीबों को शिक्षित करें और स्लम बस्तियों में जाकर काम करें। हरिजनों की सेवा करें। आज के युवा को राष्ट्र को धर्म, जातिवाद, राज्यवाद से ऊपर उठाकर एक राष्ट्र बनाना चाहिए। युवा ही देश में नई क्रांति ला सकते हैं। मेरा खुद का परिवार राष्ट्रभाव से प्रेरित है, इसलिए मेरे परिवार में देश के अलग-अलग राज्यों और समुदायों के लोग हैं। इसलिए मैं अपने परिवार को छोटा भारत ही मानती हूं।

युवाओं से उम्मीद

सिस्टम को बदलने के लिए आज का युवा ही क्रांति ला सकता है। मुझे तो खासकर अब देश के युवा नेताओं से उम्मीद है कि वे देश को सही दिशा में ले जा सकेंगे।

प्रस्तुति: अंतिका जैन
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