सोमवार, 13 अगस्त, 2012 को 16:31 IST तक के समाचा
मोरक्को के दैनिक अखबार अल-अहदथ अल मग़रीबिया के संपादक मुख़्तार अल-ग़जीउई को अपनी जान का खतरा सता रहा है क्योंकि उन्होंने एक टीवी शो के दौरान शादी से पहले यौन संबंधों के समर्थन में राय दी थी.
वो कहते हैं, ''वहीं एक मौलवी ने फतवा जारी कर दिया कि मुझे मर जाना चाहिए. मैं अपने और परिवार के लिए बहुत डर हुआ हूं. ये उन सभी आधुनिकतावादियों के लिए झटका है जिन्होंने सोचा था कि मोरक्को आगे बढ़ रहा है.''
मोरक्को में दंड संहिता के अनुच्छेद 490 के अनुसार विवाहेत्तर यौन संबंधों के लिए जेल की सजा का प्रावधान है. ये अनुच्छेद उस इस्लामी कानून पर आधारित है जिसके तहत अविवाहित लोगों के यौन गतिविधियों में शामिल होने पर रोक है.
यही कारण है कि टीवी पर ग़जीउई की टिप्पणी से मोरक्को के रुढ़िवादी समाज में भारी विवाद पैदा हो गया.
'इज्जत की बलि'
मोरक्को के मानवाधिकार संघ इस कानून में बदलाव की मांग कर रहे है ताकि उन महिलाओं को उत्पीड़न से बचाया जा सके जो यौन रूप से कुंठित मर्दों का शिकार होती हैं.
"हो सकता है कि समाज सेक्स के बारे में बात न करे, लेकिन वे हमेशा इसके बारे में सोचते रहते हैं."
अब्देसामद दियाल्मी, समाजशास्त्री
भले ही कानून में बदलाव कर दिया जाए लेकिन सैक्स थैरापिस्ट अबू बकर हराकत का मानना है कि विवाहेत्तर यौन संबंध को लेकर नकारात्मक सोच और पुरूषों के लिए महिलाओं के कौमार्य की अहमियत वाले नजरिए को बदला नहीं जा सकता है.
उनका कहना है, ''समाज लोगों पर कानून का सम्मान करने के लिए दबाव डालता है न कि व्यक्तियों का सम्मान करने पर.''
उदाहरण के तौर पर पिछले साल एक जज ने 16 वर्षीय अमीना फिलाली को आदेश दिया था कि वो उस व्यक्ति से शादी करे जिसने उनका बलात्कार किया था, ताकि लड़की के परिवार की इज्जत बनी रहे.
अमीना ने ये शादी कर ली लेकिन उनके पति ने उन्हें खूब पीटा जिसके बाद उन्होंने परेशान हो कर मार्च में आत्महत्या कर ली थी.
ये घटना उत्तरी मोरक्को के एक गरीब गांव में घटी थी जहां अब भी पारंपरिक मूल्यों को बहुत महत्व दिया जाता है.
'सेक्स का अधिकार'
मोहम्मद पंचम विश्वविद्यालय में समाजशास्त्री अब्देसामद दियाल्मी कहते हैं कि दंड संहिता के अनुच्छेद 490 को हटा देना चाहिए क्योंकि मानव को यौन संबंधों का अधिकार है.
उनका कहना है कि ज्यादा से ज्यादा अविवाहित जोड़े इसलिए यौन संबंध कायम कर रहे हैं क्योंकि उनकी शादियां देर से हो रही हैं.
वो कहते हैं, “हो सकता है कि समाज सेक्स के बारे में बात न करे, लेकिन वे हमेशा इसके बारे में सोचते रहते हैं.”
शादी से पहले यौन संबंधों के मामले बढ़ रहे हैं. कुछ अविवाहित जोड़े इस पर पाबंदी लगाने वाले कानूनों को दरकिनार कर देते हैं जिनमें गैर शादीशुदा लड़के और लड़की के एक कमरे में रहने पर भी पाबंदी है.
25 वर्षीय लौबाबा युवा पीढ़ी के उन लोगों में शामिल हैं जिनका नजरिया बदल रहा है.
वो कहती हैं, “अगर मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ कहीं जाकर बढ़िया सा सप्तांहांत गुजारना चाहती हूं, तो मैं हम दो अलग अलग कमरे बुक कर लेते हैं.”
लेकिन इसमें क्या जोखिम हो सकता है, वो इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं.
'समाज जंगली बन जाएगा'
हाल में गैर शादी शुदा एक महिला और पुरूष को यौन संबंध बनाते हुए पकड़े जाने पर छह हफ्तों की सजा सुनाई गई.
मोरक्को की व्यापारिक राजधानी कांसाब्लांका की एक मस्जिद में इमामत करने वाले इमाम हसन ऐत बेलैद कहते हैं कि अनुच्छेद 490 गैर-पश्चिमी समाज की संस्कृति का हिस्सा है.
उनका कहना है, “अगर अनुच्छेद को हटा दिया जाता है, तो हम जंगली बन जाएंगे. हमारा समाज एक त्रासदी बन जाएगा.”
दूसरी तरफ इन कानून के आलोचकों का कहना है कि कड़े सैक्स कानूनों से सिर्फ महिलाओं को शोषण को बढ़ावा मिलता है.
अकसर पुरूषों को ये कहते हुए सुना जा सकता है कि ‘औरतों का शिकार’ करने जा रहे हैं.
"शादी के बाहर सेक्स को कानूनी मान्यता देना व्याभिचार को बढ़ावा देने वाली पहल होगी."
मोरक्को के कानून मंत्री
विश्लेषक मानते हैं कि इस तरह की सोच दिखाती है कि समाज में सेक्स को लेकर कुंठा मौजूद है.
टूट रही है चुप्पी
लेकिन मोरक्को की नवनिर्वाचित इस्लामी सरकार में न्याय मंत्री मुस्तफा रामिद का कहना है कि वो कानून में किसी तरह के बदलाव का इरादा नहीं रखते हैं.
हाल ही में उन्होंने कहा, “शादी के बाहर सेक्स को कानूनी मान्यता देना व्याभिचार को बढ़ावा देने वाली पहल होगी.”
जब पिछले साल देश में नया संविधान पेश किया गया तो पश्चिमी जगत के नेताओं ने मोरक्को की सराहना करते हुए उसे क्षेत्र के दूसरे देशों के लिए लोकतंत्र और आधुनिकता का आदर्श बताया था.
बहुत से युवा चाहते हैं कि समाज इस तरह उदार बने कि उसमें ग़जीउई जैसे लोग अपनी राय को आजादी से रख सकें.
लेकिन ये चाहत उन लोगों से टकराती है जो देश को इस्लामी परंपराओं के मुताबिक ही चलाना चाहते हैं.
मोरक्को का समाज रुढिवादी और उदारवादी नजरियों के बीच फंसा है यानी देश में पूर्व और पश्चिम की सोच एक दूसरे से टकरा रही है.
लेकिन पहली बार शादी से पहले या विवाहेत्तर यौन संबंधों पर बहस होना दिखाता है कि वर्जित माने जाने वाले विषयों पर धीरे धीरे समाज की चुप्पी टूट रही है.
bbc